--- विनय जोशी
डॉ. हेडगेवार जी की अभ्यासपूर्ण जीवनी (Biography) के लेखक और दिल्ली युनिवर्सिटी के प्राध्यापक राकेश सिन्हा जी राज्यसभा मे राष्ट्रपती जी द्वारा मनोनीत किये गए. टी.वी.स्टुडियो में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के लिए सतत संघर्षरत वैचारिक योद्धा, मेधावी अभ्यासक राकेश जी दिल्ली स्थित इण्डिया पॉलिसी फ़ौंडेशन के संस्थापक संचालक है. बिहार के बेगुसराई में जन्मे और पले बढे लेकिन दिल्ली के माहौल में विकसित हुए राकेश जी एक Down to Earth विचारक, अभ्यासक के रूप में जाने जाते है.
उनसे मिलने से कई बार यह महसूस होता है की वे दिल्ली के छल कपट वाले और कुटिलता से ओतप्रोत वायुमंडल के लिए बिलकुल फिट नहीं है... उनके सीधे साधे स्वभाव की वजह से उन्हें कई बार मानसिक पीड़ा और अशांति भी झेलनी पड़ी है, लेकिन भगवान भी तो इस दुनिया में है जो ऐसे लोगों की चिंताओं को ढोता और दूर करता है...
दिल्ली की नेहरु सेन्ट्रल लायब्ररी में सुबह से देर रात तक बैठने वाले, जबरदस्त अभ्यास करने वाले आजन्म विद्यार्थी, तीक्ष्ण प्रतिभा के धनी,सभी प्रकार के बौद्धिक हथियारों से लैस इस साधारण व्यक्ति के पीता बिहार के राज्य स्टार के कम्युनिस्ट नेता थे. पीता जी के रहते हुए ही राकेश जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े लेकिन आपके पिता जी ने कभी भी अपनी विचारधारा अपने बेटे पर नहीं थोंपी, यह आजके वैचारिक छुआछूत की वजह से अंधे हो चुके कम्युनिस्ट नेताओं के लिए यह एक अनुकरणीय उदहारण हो सकता है...
मालेगाव बम कांड के बाद भगवा आतंकवाद मिथक का मकड़जाल भेदने के लिए टिव्ही डिबेट में जी जान लगाने वाले; सच्चर कमिटी की मुस्लिम समाज पर आई Equal Opportunity Commission की रिपोर्ट की जबरदस्त अभ्यासपूर्ण तरीके के खामिया उजागर करने वाले; हिंदु संघठनों को आरोपी के कठघरे में खड़ा करने के लिए लाए गए Prevention of Communal & Targeted. Violence Bill-2011 की "Hole in the Bucket" नाम की किताब लिख कर धज्जिया उड़ाने वाले; मोदी जी के कीमती कोट के नाम पर टिव्ही स्टूडियो डिबेट में संघ-भाजपा को कॉर्पोरेट स्नेही बताने वाले कम्युनिस्ट नेता अतुल अंजान को कॉमरेड श्रीपाद अमृत डांगे की 5 स्टार कल्चर का उदाहरण देकर चुप कराने वाले; बंगाल के धुलागढ़ में ममता की सरकार समर्थित मुस्लिम गुंडों द्वारा हिन्दुओं के सैकड़ो घरों को जलाने के बाद दिल्ल्ली में मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग में मामला उठाने वाले और इस पर विशाल सेमिनार आयोजित कर के मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को बेनकाब करने वाले, ऐसे राकेश जी के कई रूप दिल्ली ने आज तक देखे है....
जिस तरह से वह आज तक टिव्ही स्टूडियो और सेमिनार, संगोष्ठियों में वामपंथी बौद्धिक कुटिलता को शुद्ध वैचारिक और तीव्र मेधा के हथियार से लहूलुहान करते आए है, ठीक वैसे ही राकेश जी इसके बाद संसद में हमलावर और आक्रामक मिजाज में देखने को मिलेंगे; फर्क एक ही रहेगा अब तक सिर्फ भारत की जनता उन्हें सुनती थी, इसके बाद पूरी दुनिया उन्हें भारत की सत्ताधारी पार्टी की "Law Maker" या पार्लमेंटरियन के रूप में देखेगी और सुनेगी!
आज तक उन्होंने हजारो भाषण दिए और हजारो टिव्ही डिबेटस में हिस्सा लिया लेकिन एक बार भी खुद पर डीफेमेशन का केस नहीं झेला क्योंकि वह जो बोलते है सही प्रमाण के साथ बोलते है... मीडियाकर्मियों और पत्रकारों में सभी विचारधारा के लोगों के साथ पारिवारिक मित्रता रखते है, लेकिन वैचारिक और सैधांतिक समझौता कभी नहीं करते....
आज भारत में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को बदनाम और गुनाहगार साबित करने की जो होड़ सी मची हुई है ऐसे समय में राकेश जी जैसा वैचारिक योद्धा संसद में मोर्चा संभालते देखना बहुत ही आश्वासक भी है और अति आवश्यक भी....
राकेश जी को ढेर सारी शुभकामनाएँ....
डॉ. हेडगेवार जी की अभ्यासपूर्ण जीवनी (Biography) के लेखक और दिल्ली युनिवर्सिटी के प्राध्यापक राकेश सिन्हा जी राज्यसभा मे राष्ट्रपती जी द्वारा मनोनीत किये गए. टी.वी.स्टुडियो में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के लिए सतत संघर्षरत वैचारिक योद्धा, मेधावी अभ्यासक राकेश जी दिल्ली स्थित इण्डिया पॉलिसी फ़ौंडेशन के संस्थापक संचालक है. बिहार के बेगुसराई में जन्मे और पले बढे लेकिन दिल्ली के माहौल में विकसित हुए राकेश जी एक Down to Earth विचारक, अभ्यासक के रूप में जाने जाते है.
उनसे मिलने से कई बार यह महसूस होता है की वे दिल्ली के छल कपट वाले और कुटिलता से ओतप्रोत वायुमंडल के लिए बिलकुल फिट नहीं है... उनके सीधे साधे स्वभाव की वजह से उन्हें कई बार मानसिक पीड़ा और अशांति भी झेलनी पड़ी है, लेकिन भगवान भी तो इस दुनिया में है जो ऐसे लोगों की चिंताओं को ढोता और दूर करता है...
दिल्ली की नेहरु सेन्ट्रल लायब्ररी में सुबह से देर रात तक बैठने वाले, जबरदस्त अभ्यास करने वाले आजन्म विद्यार्थी, तीक्ष्ण प्रतिभा के धनी,सभी प्रकार के बौद्धिक हथियारों से लैस इस साधारण व्यक्ति के पीता बिहार के राज्य स्टार के कम्युनिस्ट नेता थे. पीता जी के रहते हुए ही राकेश जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े लेकिन आपके पिता जी ने कभी भी अपनी विचारधारा अपने बेटे पर नहीं थोंपी, यह आजके वैचारिक छुआछूत की वजह से अंधे हो चुके कम्युनिस्ट नेताओं के लिए यह एक अनुकरणीय उदहारण हो सकता है...
मालेगाव बम कांड के बाद भगवा आतंकवाद मिथक का मकड़जाल भेदने के लिए टिव्ही डिबेट में जी जान लगाने वाले; सच्चर कमिटी की मुस्लिम समाज पर आई Equal Opportunity Commission की रिपोर्ट की जबरदस्त अभ्यासपूर्ण तरीके के खामिया उजागर करने वाले; हिंदु संघठनों को आरोपी के कठघरे में खड़ा करने के लिए लाए गए Prevention of Communal & Targeted. Violence Bill-2011 की "Hole in the Bucket" नाम की किताब लिख कर धज्जिया उड़ाने वाले; मोदी जी के कीमती कोट के नाम पर टिव्ही स्टूडियो डिबेट में संघ-भाजपा को कॉर्पोरेट स्नेही बताने वाले कम्युनिस्ट नेता अतुल अंजान को कॉमरेड श्रीपाद अमृत डांगे की 5 स्टार कल्चर का उदाहरण देकर चुप कराने वाले; बंगाल के धुलागढ़ में ममता की सरकार समर्थित मुस्लिम गुंडों द्वारा हिन्दुओं के सैकड़ो घरों को जलाने के बाद दिल्ल्ली में मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग में मामला उठाने वाले और इस पर विशाल सेमिनार आयोजित कर के मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को बेनकाब करने वाले, ऐसे राकेश जी के कई रूप दिल्ली ने आज तक देखे है....
जिस तरह से वह आज तक टिव्ही स्टूडियो और सेमिनार, संगोष्ठियों में वामपंथी बौद्धिक कुटिलता को शुद्ध वैचारिक और तीव्र मेधा के हथियार से लहूलुहान करते आए है, ठीक वैसे ही राकेश जी इसके बाद संसद में हमलावर और आक्रामक मिजाज में देखने को मिलेंगे; फर्क एक ही रहेगा अब तक सिर्फ भारत की जनता उन्हें सुनती थी, इसके बाद पूरी दुनिया उन्हें भारत की सत्ताधारी पार्टी की "Law Maker" या पार्लमेंटरियन के रूप में देखेगी और सुनेगी!
आज तक उन्होंने हजारो भाषण दिए और हजारो टिव्ही डिबेटस में हिस्सा लिया लेकिन एक बार भी खुद पर डीफेमेशन का केस नहीं झेला क्योंकि वह जो बोलते है सही प्रमाण के साथ बोलते है... मीडियाकर्मियों और पत्रकारों में सभी विचारधारा के लोगों के साथ पारिवारिक मित्रता रखते है, लेकिन वैचारिक और सैधांतिक समझौता कभी नहीं करते....
आज भारत में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को बदनाम और गुनाहगार साबित करने की जो होड़ सी मची हुई है ऐसे समय में राकेश जी जैसा वैचारिक योद्धा संसद में मोर्चा संभालते देखना बहुत ही आश्वासक भी है और अति आवश्यक भी....
राकेश जी को ढेर सारी शुभकामनाएँ....